महान शिक्षाविद, साहित्यकार एवम समाज सुधारक ईश्वर चंद विद्यासागर की जयंती पर पूर्व योग आयोग सदस्य रविंद्र सिंह ने किया नमन

 बिलासपुर –पूर्व योग आयोग सदस्य एवम वरिष्ठ पार्षद रविंद्र सिंह ईश्वर चंद विद्यासागर की जयंती पर उन्हें याद कर नमन किया साथ ही साथ रविंद्र सिंह ने बता की ईश्वर चंद विद्यासागर  समाज के एक महान  समाज सुधारक, साहित्यकार  और एक अच्छे शिक्षाविद थे। ईश्वर चंद विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर 1820 को पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले के एक छोटे से गांव में हुआ। विद्यासागर का वास्तविक नाम ईश्वर चंद्र था, और वे भारतीय renaissance के अग्रणी व्यक्तियों में से एक माने जाते हैं।विद्यासागर ने अपने जीवन में शिक्षा को बहुत महत्वपूर्ण माना। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से समाज में व्याप्


कुरीतियों को समाप्त करने का प्रयास किया। उन्होंने भारतीय समाज में स्त्री शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष रूप से कार्य किया। उनका मानना था कि शिक्षा के बिना समाज का विकास संभव नहीं है। उन्होंने 1856 में विधवा विवाह का समर्थन किया और इसके लिए समाज में जागरूकता फैलाने का काम किया।विद्यासागर का योगदान केवल शिक्षा तक सीमित नहीं था। उन्होंने सामाजिक सुधारों के लिए भी कई कदम उठाए। उन्होंने जातिवाद, ऊँच-नीच की भावना और महिलाओं के प्रति भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उनके द्वारा स्थापित स्कूलों ने हजारों विद्यार्थियों को शिक्षित किया और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया।उनका साहित्यिक योगदान भी महत्वपूर्ण है। विद्यासागर ने अनेक संस्कृत और बंगाली ग्रंथों की रचना की। उनका "बंगाल का साहित्य" और "संस्कृत भाषा की व्याकरण" जैसी रचनाएँ आज भी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। उन्होंने सरल भाषा में लिखकर आम लोगों तक ज्ञान पहुँचाने का कार्य किया।ईश्वर चंद विद्यासागर का जीवन एक प्रेरणा है। उन्होंने अपने कार्यों और विचारों के माध्यम से भारतीय समाज को जागरूक करने का प्रयास किया। उनका मानना था कि शिक्षा से ही व्यक्ति का सर्वांगीण विकास संभव है। उनकी सोच और कार्यों ने भारतीय समाज में एक नई क्रांति का संचार किया।विद्यासागर का योगदान न केवल उनके समय में,


 बल्कि आज भी प्रासंगिक है। वे एक ऐसे महापुरुष थे, जिन्होंने समाज की जड़ों को मजबूत करने और उसे नई दिशा देने का कार्य किया। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्ची शिक्षा और समाज सुधार का मार्ग हमेशा कठिन होता है, लेकिन यह हमारे कर्तव्य का हिस्सा है। विद्यासागर की विचारधारा और कार्यों को याद करते हुए हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए

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