भगवान परशुराम की विशेषताएँ उन्हें एक अद्वितीय और प्रतिभाशाली व्यक्ति बनाती हैं– रविन्द्र सिँह

 बिलासपुर –पार्षद एवं पूर्व योग आयोग छत्तीसगढ़ के सदस्य रविन्द्र सिँह ने भगवान परशुराम जन्मोत्सव एवं अक्षय तृतीया  की पुरे शहर एवं प्रदेश वासियो को बधाई एवं शुभकामनायें दी.


आपको बता दे की परशुराम जयंती भारतीय हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व परशुराम भगवान के जन्मदिन को याद करता है, जो हिन्दू धर्म के आठवें अवतार माने जाते हैं। उन्हें धनुर्धारी भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने धनुष का उपयोग करके ब्रह्मदंड के सहायक रूप में अनेक राजाओं को विनाश किया था।



परशुराम हिन्दू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण चरित्र हैं। वे भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। परशुराम का जन्म राजा जमदग्नि और रानी रेणुका के पुत्र के रूप में हुआ था। उनका असली नाम भारत था, लेकिन उन्हें 'परशुराम' नाम उनके विशेष कौशल को दर्शाता है, क्योंकि वे परशु या फिर कुल्हाड़ी का धारण करते थे। वे क्षत्रियों के खिलाफ लड़ने वाले ब्राह्मण रामानुज हुए थे और अनेक युद्धों में भाग लिया। उनके चरित्र में न्याय, त्याग, और धर्म की महत्वपूर्ण बातें हैं।

परशुराम की विशेषताएँ उन्हें एक अद्वितीय और प्रतिभाशाली व्यक्ति बनाती हैं।

धनुर्धारी: परशुराम को धनुष और कुल्हाड़ी का प्रयोग करने का विशेष ज्ञान था, जिससे उन्होंने अनेक युद्धों में विजय प्राप्त की।

धर्म के पालन: परशुराम धर्म के पालन में बहुत विशेष थे और उन्होंने अपने पिता के आदेश का पालन करते हुए भी उन्हें धर्म से विचलित कर दिया।

ध्यान और तपस्या: उन्होंने अपने जीवन में तपस्या और ध्यान का अद्वितीय महत्व दिया और अनेक तपस्या का पालन किया।

धर्मयुद्ध का प्रतिनिधित्व: परशुराम को धर्मयुद्ध के प्रतिनिधि के रूप में जाना जाता है, जो अधर्मियों के खिलाफ लड़ने के लिए उनके पूर्वजों के आदर्शों का पालन किया।



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