दांडिक प्रस्तुतकार (लिपिक)को हुआ कारावास

बिलासपुर –हेमन्त ताम्रकर जो कि वर्ष 1994 से 1996 तक न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी बिलासपुर के न्यायालय में दाण्डिक प्रस्तुतकार (लिपिक) के पद पर पदस्थ था। यह अपनी पदस्थापना के दौरान न्यायालय द्वारा विभिन्न तिथियों को वसूले गये अलग-अलग अर्थदण्ड को जिला एवं सत्र न्यायालय भारतीय स्टेट बैंक कलेक्ट्रेट शाखा बिलासपुर के खाता में जमा न कर फर्जी सील, फर्जी चालान नं० डालकर प्रतिभूति, चालानो की कूट रचना करते हुये अलग-अलग तिथियों में गबन किया गया। इस तरह आरोपी द्वारा अपने कार्यकाल में अलग-अलग व्यक्तियों से अलग-अलग तिथियों में वसूले गये कुल 7,78,790 रूपयें का गबन किया गया जिस पर तत्कालिन जिला एवं सत्र न्यायाधीश बिलासपुर के
 निर्देश पर न्यायालय अधीक्षक श्री के०एस० ठाकुर द्वारा थाना सिविल लाइन में धारा 420, 408, 466, 467, 468, 471, 472, 474, 475, 477ए भादसं० के अंतर्गत अलग-अलग 6 प्रकरण दर्ज कराये गयें। उक्त प्रकरण का विचारण मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बिलासपुर श्री मनीष कुमार दुबे के न्यायालय में हुआ। प्रकरण में आये तथ्यों एवं साक्ष्यों का मुल्यांकन कर माननीय न्यायालय ने आरोपी हेमंत ताम्रकर के विरूद्ध लंबित प्रकरण क0 4801/99, 4797/99, 4792/99, 4775/99, 4751/99, 4743/99 (कुल 6 प्रकरण) में निर्णय सुनाया गया। जिसमें आरोपी को प्रत्येक प्रकरण में धारा 409, 466, 467, 468, 471, 472, 474, 475, 477ए भादसं० के आरोप में दोषी मानकर पृथक-पृथक तीन-तीन वर्ष का सश्रम कारावास तथा 1000-1000 रूपये का अर्थदण्ड दिया गया। अर्थदण्ड के व्यतिकम की दशा में तीन माह की अतिरिक्त कारावास का सजा सुनाई गयी। उक्त प्रकरण में शासन की ओर से पैरवीकर्ता जिला अभियोजन अधिकारी बिलासपुर श्री धर्मेन्द्र प्रताप सिंह थे और उन्होने ही उक्त जानकारी दी।

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