कोयला तस्करी के मुखिया तत्कालीन रेंजर पसान धर्मेंद्र चौहान पर प्रशासन क्या कड़ी कार्यवाही करेगी..?

कोरबा/कटघोरा–कटघोरा वन मंडल के पसान परिक्षेत्र में वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की मिली भगत से हो रहा हैं कोयला उत्खनन

डी.एफ.ओ.की कार्यवाही से वन अधिकारी और कर्मचारियों में कार्यवाही का डर

वन अधिकारी और कर्मचारी कार्यवाही से बचने के लिए लगा रहे हैं नेताओं का चक्कर

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार धर्मेंद्र चौहान अपनी पोस्टिंग के लिए 30 लाख रुपए ले कर नेताओ और अधिकारियों के चक्कर लगा रहे ताकि खुलेआम कोयले का खेल खेल सके। और बेगुनाह कर्मचारियों को बली का बकरा बना रहे है।

वनमंडल कटघोरा अंतर्गत वन परिक्षेत्र पसान परिक्षेत्र सहायक जलके वन परिसर बीजाडाँड़ कक्ष क्रमांक पी 198 में कोयला तस्करों द्वारा कोयला का अवैध उत्खनन कर चिरमिरी परिवहन किया जा रहा था जिसकी सूचना परिक्षेत्र सहायक जलके उज्जैन सिंह पैकरा द्वारा वन भ्रमण के दौरान मुखबिर से पता लगा। पता लगने के पश्चात परिक्षेत्र सहायक वृत्त के अधीनस्थ कर्मचारियों को बताया गया जिसके बाद परिक्षेत्र सहायक व जलके  सर्किल के कर्मचारियों के द्वारा
 सतत निगरानी किया गया एवं लगातार रात्रि गश्त किया जा रहा था। जिसकी सूचना व सहयोग हेतु परिक्षेत्र सहायक जलके द्वारा वन परिक्षेत्र अधिकारी पसान को अवगत कराया गया वन परिक्षेत्र अधिकारी के द्वारा किसी भी प्रकार का सहयोग एवं निरीक्षण नहीं किया गया। परिक्षेत्र सहायक जलके व कर्मचारियों के द्वारा मुखबिर पुट्टीपाखना के ग्रामीणों के साथ रात्रि गश्त किया जा रहा था लेकिन तस्करों
 के द्वारा जगह-जगह पर अपने मुखबिरों को रखा गया था। जिसे रात्रि गश्त कर कर्मचारियों की सूचना तस्करों को दिया जा रहा था ।जिसके कारण तस्करों को पकड़ पाना संभव नहीं हो रहा था तब डिप्टी रेंजर उज्जैन सिंग पैकरा द्वारा दिनांक 3/05/2023 की रात्रि वन मंडल कटघोरा उड़नदस्ता प्रभारी धर्मेंद्र चौहान उपवन क्षेत्रपाल को मोबाइल के माध्यम से अवैध कोयला उत्खनन कर एकत्रित कोयला को खपाने हेतु वाहन लगना बताया गया। लेकिन सूचना मिलने के बावजूद उड़नदस्ता प्रभारी चौहान द्वारा रात्रि गश्ती नहीं किया गया, आ रहा हूं कह कर कहा गया एवं दूसरे दिवस किसी भी प्रकार का निरीक्षण नहीं किया गया ।
उडनदस्ता प्रभारी धर्मेंद्र चौहान लगभग 2 साल पसान वन परिक्षेत्र प्रभारी रहे हैं और माह जनवरी 2023 तक प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी पसान  के पद पर पदस्थ रहे ।शासन के आदेश अनुसार रामनिवास दहायत का वन परिक्षेत्र पसान के परिक्षेत्र अधिकारी के पद पर पदस्थापना पश्चात चौहान द्वारा पदभार नहीं दिया जा रहा था एवं अवैध कोयला उत्खनन व परिवहन चौहान के समय से चल रहा था जिसमें उसके कुछ चहेते कर्मचारी भी रहे। इस कारण 3/5 /2023 की सूचना अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं गया यह संदेहास्पद प्रतीत होता हैं। दिनांक 
7/3/2023 को मुखबिर ने वन मंडल अधिकारी महोदय कटघोरा को मोबाइल के माध्यम से अवैध उत्खनन की सूचना दी गई।तब तत्काल वन मंडलाधिकारी द्वारा अधिकारियों और कर्मचारियों की मीटिंग लेकर तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए। इसे कोयले के अवैध उत्खनन को संज्ञान में लिया गया।उडनदस्ता की टीम को मौके पर जांच हेतु भेजा गया।उड़नदस्ता प्रभारी धर्मेंद चौहान द्वारा एक ही जगह पर जांच कर रिपोर्ट बनाई गई जबकि पी 198 के बगल में पी 195 में जांच नहीं किया गया जहाँ पर बहुत ज़्यादा मात्रा में कोयला का अवैध उत्खनन हैं और इस बीट के प्रभारी कौशल द्विवेदी हैं जो धर्मेंद्र चौहान का आदमी हैं इसलिए उसे बचा लिया हैं।
अब बड़ा सवाल यह हैं कि उड़नदस्ता टीम द्वारा कार्यवाही क्यों नहीं किया गया।इससे  उड़नदस्ता प्रभारी की संलिप्तता प्रतीत होती हैं जो कि प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी पद पर पदस्थ थे।वन परिक्षेत्र पसान परिक्षेत्र सहायक जलके सर्किल परिसर बीजाडांडी कक्ष क्रमांक पी 198 में अवैध रूप से कोयला उत्खनन के मामले में उड़नदस्ता प्रभारी धर्मेंद्र चौहान के द्वारा 620 बोरी जब्ती करना बताया गया एवं मौके पर उपस्थित कर्मचारियों का पंचनामा हस्ताक्षर व ग्राम पुट्ठीपकना के दो व्यक्तियों का घर जाकर हस्ताक्षर लिया गया और सरपंच प्रतिनिधि के घर जाकर हस्ताक्षर गवाह बयान लिया गया ।परिक्षेत्र सहायक जलके बीट प्रभारी वनपाल परिसर बीजाडांडी परिसर का पी.ओ.आर.बुक जप्त किया गया ।वन परिक्षेत्र पसान कार्यालय से पी.ओ.आर.रजिस्टर एफ. ओ.सी.आर.की छाया प्रति लेकर रातों-रात निलंबन की कार्यवाही हेतु भेज दिया गया एवं उज्जैन सिंह पैकरा उपवन क्षेत्रपाल और अरुण कुमार राजपूत बीजाडांडी बीट प्रभारी पर निलंबन की कार्यवाही किया गया, जबकि दूसरी ओर परिक्षेत्र सहायक जलके अंतर्गत जलके बीट कक्ष क्रमांक 195 में अवैध कोयला उत्खनन परिवहन का मामला सामने आया जिसकी जांच हेतु वन मंडल कटघोरा उड़नदस्ता प्रभारी धर्मेंद्र चौहान द्वारा मौके का निरीक्षण किया गया जिसमें पाया गया कि पी 198 में जो 260 बोरी का मामला रहा लेकिन पी 195 में लगभग 700 से 800 बोरी रहा होगा एवं मौके पर कोयला से भरा बोरी जलाया गया  एवं फावड़ा से कोयला खुदाई को आसपास की मिट्टी से ढक दिया गया था जो कि कौशल प्रसाद द्विवेदी द्वारा अपने बचाव हेतु किया गया था ।मुखबिर से सूचना मिलते ही तत्काल कटघोरा वन मंडलाधिकारी द्वारा बिलासपुर सी.सी.एफ.उड़नदस्ता की टीम को बुलाया गया और बिलासपुर उड़नदस्ता टीम वन मंडल अधिकारी द्वारा निरीक्षण किया गया जलके प्रभारी कौशल प्रसाद द्विवेदी द्वारा बयान दिया गया कि मेरे द्वारा 250 बोरी जब्ती की कार्यवाही किया गया। दिनांक
 8/6 /2023 जबकि कोयला उत्खनन मामला विगत 2 माह से चल रहा था तो पूर्व में जप्त की कार्यवाही क्यों नहीं किया गया।
 
दिनांक 6/06/ 2023 जांच के पश्चात कार्यवाही ना करना सोच कर 
8/6 /2023 को पी ओ आर किया गया ।उड़नदस्ता प्रभारी धर्मेंद्र चौहान द्वारा बीजाडांडी ग्राम जाकर पंचनामा बयान की कार्यवाही किया गया कार्यवाही में पी.ओ.आर. का दिनांक नहीं बताया गया । जप्त की गई कोयला बोरी के बारे में नहीं पूछा गया और ना ही मौके का निरीक्षण किया गया नहीं उज्जैन सिंह पैकरा अरुण कुमार राजपूत के पी.ओ.आर. बुक की जब्ती की  गई थी उसी तरह कौशल प्रसाद द्विवेदी का पी.ओ.आर.बुक जप्त क्यों नही किया गया और ना ही वन परिक्षेत्र पसान कार्यालय से पी.ओ. आर.रजिस्टर की छाया प्रति लिया गया। लगता हैं दोनों मामलों में 2 कर्मचारियों के खिलाफ  कार्यवाही करके तत्कालीन प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी धर्मेंद्र चौहान,वर्तमान परिक्षेत्र अधिकारी और पी 195 के बीट प्रभारी कौशल प्रसाद द्विवेदी का सहयोग किया जाना प्रतीत होता हैं या तो उड़नदस्ता प्रभारी धर्मेंद्र चौहान व कौशल प्रसाद द्विवेदी दोनों की मिलीभगत पर अवैध कोयला उत्खनन परिवहन किया जा रहा होगा जो कि पूर्व में प्रभारी पसान रेंजर के पद पर पदस्थ थे। इस कार्यवाही में  साफ नजर आ रहा हैं कि  जलके बीट प्रभारी कौशल प्रसाद द्विवेदी को बचाया जा रहा हैं जिससे कि प्रतीत होता हैं कि धर्मेंद्र चौहान इस अवैध कोयला उत्खनन में संलिप्त हैं और इस कोयला के धंधे का मुख्य सरगना हैं।दोनों प्रकरण कोयला अवैध उत्खनन का मामला हैं जिसमें 2 कर्मचारियों को निलंबित किया गया हैं और वन विभाग के कर्मचारी कौशल द्विवेदी और इसके गुरु धर्मेंद्र चौहान को बचाया जा रहा हैं।अब देखना यह हैं कि वन विभाग के बड़े अधिकारी क्या करते हैं इन कोयला चोरों को संरक्षण देते हैं या फिर कोई बड़ी कार्यवाही करते हैं ? 
ताकि भविष्य में इस तरह की गलती कोई अधिकारी या कर्मचारी न करें।

इस पूरे मामले में कटघोरा वन मंडलाधिकारी जी ने जो गंभीरता दिखा कर कार्यवाही की जा रही हैं उससे यह प्रतीत होता हैं कि भविष्य में कोई बड़ी कार्यवाही इस मामले में हो सकती हैं और वन अधिकारी और कर्मचारी जेल जा सकते हैं।

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